टिप्पणी
ठीक अर्णव गोस्वामी की तरह का एक मामला उत्तर प्रदेश में हुआ था,,तब भी भाजपा के बड़े बड़े नेता अटल,आडवाणी राजनाथ सिंह जैसे लोग तमाशा देख रहे थे,ये सच्ची घटना 2005 की है जब लगातार तीन दिनों से मऊ में हिंदुओ का नरसंहार हो रहा था, तब योगी जी गोरखपुर के सांसद थे, वो लगातार भाजपा के बड़े नेताओं से कह रहे थे कि मऊ में हिंदू भाइयों को मारा जा रहा है दंगा रोकने के लिए भाजपा आगे आए, अगर हम आवाज नही उठाएंगे तो फिर कौन आवाज उठाएगा लेकिन योगी की इस बात को उन बड़े बड़े नेताओं ने दर किनार कर दिया,,क्यों की उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी ,गिरफ्तारी के डर से बड़े बड़े नेताओं ने चुप्पी साध ली,,तब योगी के सब्र का बांध टूट गया और कहा कि लात मारता हूं ऐसी पार्टी को जो हिंदुत्व की बात करती है लेकिन हिंदुओ का साथ नही दे सकती, और अकेले ही अपने मंदिर से तीन गाड़ी और कुछ लोगों को लेकर निकल पड़े तब मुलायम ने कहा योगी को मऊ में गिरफ्तार कर लो,,और जब ये खबर योगी के समर्थको को लगी गोरखपुर से 64 किलोमीटर दूर मऊ पहुंचते पहुंचते योगी जी के साथ हजारों गाड़ियों का काफिला और और उनके समर्थकों का जन सैलाब देख कर प्रशाशन के हाथ पांव फूल गए,और प्रशासन ने मुलायम सिंह को फोन कर के कहा कि इस समय अगर योगी को गिरफ्तार किया तो ऐसा कोहराम मच जाएगा कि इनको रोकना नामुमकिन हो जाएगा तब योगी जी वहीं अपने गाड़ी के छत पर खड़े हो गए और कहा दंगा कैसे रोका जाता है मैं बताता हूं, इसके बाद योगी के दबाव में प्रशाशन ने सख्ती से दंगे को रूकवाया इसके बाद दंगा खत्म हुआ और गोरखपुर आते ही उन्होंने भाजपा से त्यापत्र दे दिया..तो सोच लो एक व्यक्ति सांसद रहते हुए शासन और प्रशासन और पार्टी को हिला सकता है , महाराष्ट्र में एक सच्चे पत्रकार पर होने वाले ज़ुल्मो का तमाशा देखने वालों भाजपा के लोगों क्या पूरे महाराष्ट्र में योगी जैसा एक भी मर्द नही है क्या,, जो उस दो कौड़ी के पुलिस कमिश्नर और उस नीच मुख्यमंत्री को उसकी औकात बता सके और मोदी जी आज आप प्रधान मंत्री हैं आप के पास पावर है, आज महा राष्ट्र में उसी प्रकार के निर्णय लेने की आवश्यकता है, जैसा निर्णय योगी जी ने मात्र एक सांसद रहते हुए लिया था, नहीं तो हिंदुओ का विश्वास एक बार फिर भाजपा से उठ जाएगा…जय श्री राम