झोपड़ी के द्वार
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न ठिठको राह में चाहे इधर आओ उधर जाओ।
न दो नावों पे रक्खो पांव डूबोगे सुधर जाओ।
सजा लो लाख सपने रंग महलों में इजाजत है,
मेरी औकात मेरी झोपड़ी के द्वार धर जाओ।
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रचनाकार,
संदीप ‘सरस’
कवि,साहित्यकार/समीक्षक
साहित्य सम्पादक~दैनिक राष्ट्र राज्य दैनिक
संयोजक~साहित्य सृजन मंच
शंकरगंज,बिसवां(सीतापुर) – उ प्र-261201
मो- (9450382515) (9140098712)
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