झूठ (दोहावली)
झूठ कभी ना जीतता, कर लो जतन हजार।
भले देर से ही सही, जीते सच हर बार।।
**
झूठ सदा भारी पड़ा, बढ़े अधर्मी पाप।
सत्य तभी निर्बल पड़ा, हुए न दृढ़ हम आप।।
**
सत्य सदा जो बोलता, रखना पड़े न याद।
एक झूठ करता सदा, सौ झूठी फरियाद।।
**
झूठ घटाती मुश्किलें, भ्रम तू ये ना पाल।
घर में ही क्या कम पलें, कुछ जी के जंजाल।।
**
झूठे की रहती सदा, रातों नींद हराम।
सच्चा सोता चैन से, कर के सारे काम।।