झूठे रिश्ते नाते हैं
सब झूठा लगता है अब तो, झूठे रिश्ते नाते हैं।
सब अपने है , मैं अपना हूँ ,ये सब कोरी बातें हैं।
गर मुश्किल जीवन में आये, झटक के निकल जातें है लोग,
जीवन के उच्च शिखर पर पहुँचो तब जाकर अपनाते हैं।
सब झूठा लगता है अब तो, झूठे रिश्ते नाते हैं।
अपना समय जब बेहतर था, तो आव भगत हो जाती थी।
पानी चाय की बात है छोटी ,भोजन की जुगत हो जाती थी।
जो आप के बिन रह सकते नही थे, वे जाने कहाँ चले जातें हैं।
सब झूठा लगता है अब तो, झूठे रिश्ते नाते हैं।
जो हाल चाल लेने को मेरा, बहुत व्यग्र हो जाते थे।
कुशल क्षेम गर ले न पाएं तो , मन ही मन पछताते थे।
समय का बदलना देख लो अब तो ,याद नहीं हम आते हैं।
सब झूठा लगता है अब तो, झूठे रिश्ते नाते हैं।
जो खाने की ईच्छा थी ,वो सबकुछ खाया करते थे।
कोई कष्ट न अपनों को हो जान लुटाया करते थे।
अब ईच्छाएं बस ईच्छाएं हैं ,ये पहलू बड़ा सताते हैं।
सब झूठा लगता है अब तो, झूठे रिश्ते नाते हैं।
-सिद्धार्थ पांडेय