झूठी आशा बँधाने से क्या फायदा
झूठी आशा बँधाने से क्या फायदा
सिर्फ अपनी चलाने से क्या फायदा
जब धरातल पे सच को ला सकते नहीं
ख्याल केवल पकाने से क्या फायदा
ये उजाले हमें रास आते नहीं
फिर ये दीपक जलाने से क्या फायदा
रात दिन जब भिगोती हैं यादें हमें
बारिशों में नहाने से क्या फायदा
कह दिया दर्द सब आपकी आँखों ने
इतना फिर मुस्कुराने से क्या फायदा
ज़िंदगी की नज़र जब हमीं पर टिकी
नज़रें उससे चुराने से क्या फायदा
जब न परवाह उनको हमारी रही
ज़ख्म दिल के दिखाने से क्या फायदा
हार का सामना हौसलों से करो
आंसुओं को बहाने से क्या फायदा
‘अर्चना’ ये तुम्हारा दिवाना है दिल
इस पे पहरा लगाने से क्या फायदा
01.06.2024
डॉ अर्चना गुप्ता