झुक नहीं सकती
गीतिका
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बन सघन घन हर दिशा में छा रही है देखिए।
नील नभ को भी झुकाती जा रही है देखिए।
हर चुनौती को सहज स्वीकार कर लेती स्वयं।
और कदमों को बढ़ाती जा रही है देखिए।
वक्त अब बीता पुराना जब बहुत मजबूर थी।
आज प्रतिभा हर तरफ दिखला रही है देखिए।
मिल नहीं पाती कभी सुविधा का’ रोना छोड़कर।
कामयाबी के तराने गा रही है देखिए।
देश की रक्षा किया करती हमेशा रात दिन।
दुश्मनों पर नित कहर बरपा रही है देखिए।
काम सबके वक्त पर आना उसे आता बहुत।
हर दुखी इन्सान को अपना रही है देखिए।
आज नारी झुक नहीं सकती किसी के सामने।
खूब परचम ज्ञान के फहरा रही है देखिए।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य