झुकता हूं…….
मत पूछ मुझसे कि मैं हरदम क्यों झुकता हूं
तेरे आगे से गुजरने के बाद भी मैं रुकता हूं
ये सोच कर कि कंही तू मुझे भूल न जाये
चिंता की आग में जलता फिर से बुझता हूं
मत पूछ मुझसे कि मैं…..
उस रोज तूने पूछा कि मजबूर तू क्यो है इतना
जब कह दिया है तुमने कि तय है हमारा मिलना
दो कदम साथ चलके खुद तय कर लिया छिटकना
कुछ देर बाद फिर करीब आके कांधे पे यूँ सिसकना
मत पूछ मुझसे कि मैं …….