झाड़ा-झपटा
झाड़े-झपटे
झाड़े-झपटे छोड़ के, पकड़ ज्ञान का राह।
सभी-टोटके फैल हैं, तर्क धरा नै बाह।।
सही करै उपचार तो, बच जावैगी जान।
भूत प्रेत के फेर मै, पैसे का नुकसान।।
स्याणे-सपटे मूढ हैं, अटल जाण ले साच।
लोग तमाशा देखते, बाळ खोल मत नाच।।
नहीं पराई ओपरी, जाबक मन रोग।
मान हरैं धन बी ठगैं, सब कुछ लूटैं लोग।।
पाखंडी का दीन के, पाखंडी बेदीन।
भैंस कदे ना टूलती, लाख बजाए बीन।।
पाखंडां तै पार पा, बेड़ा होगा पार।
पाखंडां मै उळझ के, डूबैगा मझधार।।
सिल्ला देखे जगत मैं, ढाळ ढाळ के ढोंग।
ढोंगी रहवै मौज मैं, काम करै सब रोंग।।
-विनोद सिल्ला