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17 May 2024 · 1 min read

झलक को दिखाकर सतना नहीं ।

ग़ज़ल

—‘ ” “—-‘ ” “—-‘ ” “—–‘ “—-
झलक को दिखाकर सताना नहीं।
नजर की कशिश से रिझाना नहीं ।।

अनोखी अदा से शरारत किये ।
ख़ुशी लब पे आई छुपाना नहीं ।।

निगाहों से हमदम निगाहें मिली ।
लजा के नज़र को चुराना नहीं ।।

थकी जिंदगी से कहूं कैसे मां।
रखूं गोद में सर जगाना नही ।।

चलो वादियों में बिताये घड़ी ।
नज़ारा वो सुंदर सा खोना नहीं ।।

सदा ख़्वाब तेरा ही भाये मुझे।
किसी दूजे को अब बसाना नहीं ।।

हुआ है ये रौशन जहां”ज्योटी” का।
चिरागे- ए -उल्फ़त बुझाना नहीं ।

ज्योटी श्रीवास्तव( jyoti Arun Shrivastava)
अहसास ज्योटी 💞✍️

1 Like · 22 Views
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