झलक को दिखाकर सतना नहीं ।
ग़ज़ल
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झलक को दिखाकर सताना नहीं।
नजर की कशिश से रिझाना नहीं ।।
अनोखी अदा से शरारत किये ।
ख़ुशी लब पे आई छुपाना नहीं ।।
निगाहों से हमदम निगाहें मिली ।
लजा के नज़र को चुराना नहीं ।।
थकी जिंदगी से कहूं कैसे मां।
रखूं गोद में सर जगाना नही ।।
चलो वादियों में बिताये घड़ी ।
नज़ारा वो सुंदर सा खोना नहीं ।।
सदा ख़्वाब तेरा ही भाये मुझे।
किसी दूजे को अब बसाना नहीं ।।
हुआ है ये रौशन जहां”ज्योटी” का।
चिरागे- ए -उल्फ़त बुझाना नहीं ।
ज्योटी श्रीवास्तव (jyoti Arun Shrivastava)
अहसास ज्योटी 💞 ✍️