झरना का संघर्ष
झरना बहता गिरता,
ऊँचाई से नहीं है डरता,
पत्थरों से टकराता।
झर-झर गाती,
संघर्षो के गीत जग में,
प्रेणना देती हरदम।
स्वच्छ और निर्मल,
धारा ना रुकती निरंतर बहती,
आकर्षित करती सबको।
जंगल और पहाड़,
गवाह है विजय पथ के,
गिरकर सफलता मिलती।
रचनाकार
बुध्द प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।