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16 Jul 2016 · 1 min read

झनन-झनन वारिस बन

झनन झनन बारिश की बूँद सी , मैं बरस बरसत जाऊँ ।
पैर में बाँध के पाजनियाँ घुघरू ,ठुमक – ठुमकत जाऊँ ।।
दे प्रभो बारिश दे हर बार ऐसी , हो जाए धरा हरी-भरी ।
अंग -अंग सब मेरा भीग जाए, ऐसी में फिर हुलसत जाऊँ ।।

Language: Hindi
72 Likes · 3 Comments · 585 Views
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