झनन-झनन वारिस बन
झनन झनन बारिश की बूँद सी , मैं बरस बरसत जाऊँ ।
पैर में बाँध के पाजनियाँ घुघरू ,ठुमक – ठुमकत जाऊँ ।।
दे प्रभो बारिश दे हर बार ऐसी , हो जाए धरा हरी-भरी ।
अंग -अंग सब मेरा भीग जाए, ऐसी में फिर हुलसत जाऊँ ।।
झनन झनन बारिश की बूँद सी , मैं बरस बरसत जाऊँ ।
पैर में बाँध के पाजनियाँ घुघरू ,ठुमक – ठुमकत जाऊँ ।।
दे प्रभो बारिश दे हर बार ऐसी , हो जाए धरा हरी-भरी ।
अंग -अंग सब मेरा भीग जाए, ऐसी में फिर हुलसत जाऊँ ।।