झंकार है राखी (गीत)
झंकार है राखी (गीत)
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हृदय के प्यार के उद्गार की झंकार है राखी
(1)
ये कहने को तो धागे हैं, मगर गहनों से आगे हैं
जिन्हें यह मिल गए ,समझो उन्हीं के भाग्य जागे हैं
मधुर संबंध के अनुबंध का उपहार है राखी
(2)
बहन- भाई के ये रिश्ते मिठासों से भरे रहते
पहाड़ी के किसी झरने- से कलकल हर समय बहते
गढ़े कुदरत ने जो उनका सुगढ़ विस्तार है राखी
(3)
ये रिश्ते याद बचपन की, लिखे जैसे कहानी- से
बुढ़ापा आ भले जाए, अमिट रहते निशानी- से
पुरानी एलबम का सुरमई संसार है राखी
हृदय के प्यार के उद्गार की झंकार है राखी
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर 9997 615 451