Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Oct 2016 · 1 min read

जड़े होठों पर ताले…:शाश्वत कुण्डलिया छंद

बहता क्योंकर अनवरत पक्षपात का द्रव्य.
अर्जुन अवसर पा रहा, हाथ मले एकलव्य..
हाथ मले एकलव्य, जड़े होठों पर ताले.
किन्तु द्रोंण द्रव पियें मगन होकर मतवाले,
अर्जुन का हो नाम, दक्ष दूजा ही रहता.
अब तो सुधरें द्रोंण, नष्ट हो द्रव यह बहता..

इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’

1 Comment · 270 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
When you become conscious of the nature of God in you, your
When you become conscious of the nature of God in you, your
पूर्वार्थ
शायरी 2
शायरी 2
SURYA PRAKASH SHARMA
मेरी बेटियाँ
मेरी बेटियाँ
लक्ष्मी सिंह
दोहा- छवि
दोहा- छवि
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
‼ ** सालते जज़्बात ** ‼
‼ ** सालते जज़्बात ** ‼
Dr Manju Saini
दोहे... चापलूस
दोहे... चापलूस
लक्ष्मीकान्त शर्मा 'रुद्र'
उस दर्द की बारिश मे मै कतरा कतरा बह गया
उस दर्द की बारिश मे मै कतरा कतरा बह गया
'अशांत' शेखर
बादल को रास्ता भी दिखाती हैं हवाएँ
बादल को रास्ता भी दिखाती हैं हवाएँ
Mahendra Narayan
चूल्हे की रोटी
चूल्हे की रोटी
प्रीतम श्रावस्तवी
फितरत................एक आदत
फितरत................एक आदत
Neeraj Agarwal
आइना अपने दिल का साफ़ किया
आइना अपने दिल का साफ़ किया
Anis Shah
ईश्वर का अस्तित्व एवं आस्था
ईश्वर का अस्तित्व एवं आस्था
Shyam Sundar Subramanian
जब तुम आए जगत में, जगत हंसा तुम रोए।
जब तुम आए जगत में, जगत हंसा तुम रोए।
Dr MusafiR BaithA
#कैसी_कही
#कैसी_कही
*Author प्रणय प्रभात*
विचार, संस्कार और रस-4
विचार, संस्कार और रस-4
कवि रमेशराज
जहां से चले थे वहीं आ गए !
जहां से चले थे वहीं आ गए !
Kuldeep mishra (KD)
दोस्ती पर वार्तालाप (मित्रता की परिभाषा)
दोस्ती पर वार्तालाप (मित्रता की परिभाषा)
Er.Navaneet R Shandily
मैं तो महज एक माँ हूँ
मैं तो महज एक माँ हूँ
VINOD CHAUHAN
*माँ सरस्वती (चौपाई)*
*माँ सरस्वती (चौपाई)*
Rituraj shivem verma
💐प्रेम कौतुक-375💐
💐प्रेम कौतुक-375💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
क्या सोचूं मैं तेरे बारे में
क्या सोचूं मैं तेरे बारे में
gurudeenverma198
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कहानी घर-घर की
कहानी घर-घर की
Brijpal Singh
अंदाज़े बयाँ
अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
माँ सरस्वती अन्तर्मन मन में..
माँ सरस्वती अन्तर्मन मन में..
Vijay kumar Pandey
अगर आप में व्यर्थ का अहंकार है परन्तु इंसानियत नहीं है; तो म
अगर आप में व्यर्थ का अहंकार है परन्तु इंसानियत नहीं है; तो म
विमला महरिया मौज
अगर आप सही हैं तो खुद को साबित करने के लिए ताकत क्यों लगानी
अगर आप सही हैं तो खुद को साबित करने के लिए ताकत क्यों लगानी
Seema Verma
*बादल चाहे जितना बरसो, लेकिन बाढ़ न आए (गीत)*
*बादल चाहे जितना बरसो, लेकिन बाढ़ न आए (गीत)*
Ravi Prakash
#दिनांक:-19/4/2024
#दिनांक:-19/4/2024
Pratibha Pandey
बचपन खो गया....
बचपन खो गया....
Ashish shukla
Loading...