* जख़्म-ए-दिल की दवा करते हैं *
3.47 *** दोपहर *** 28.5.18
चलो आज जख्मों की बात करते हैं
चलो आज मरहम की बात करते हैं
ख़ुदा ज़ख्म मुझे अर मरहम तुम्हें दे
चलो जख़्म-ए-दिल की दवा करते हैं।।
?मधुप बैरागी
3.47 *** दोपहर *** 28.5.18
चलो आज जख्मों की बात करते हैं
चलो आज मरहम की बात करते हैं
ख़ुदा ज़ख्म मुझे अर मरहम तुम्हें दे
चलो जख़्म-ए-दिल की दवा करते हैं।।
?मधुप बैरागी