ज्योति हूँ मैं
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सुप्रभात ! जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
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!!श्री!!
ज्योति हूँ मैं
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चल रहा हूँ मैं निरंतर लक्ष्य पाने के लिये ,
लिख रहा हूँ छंद कविता सच बताने के लिये ,
चाहता हूँ मैं बसाना हर हृदय में प्रेम को,
‘ज्योति’ हूँ मैं जल रहा हूँ तम मिटाने के लिये ।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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