ज्योति : रामपुर उत्तर प्रदेश का सर्वप्रथम हिंदी साप्ताहिक
अतीत के झरोखों से
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ज्योति : रामपुर (उ.प्र) का सर्वप्रथम हिंदी साप्ताहिक
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अखबारों के पुस्तकों की तरह दूसरे या तीसरे संस्करण नहीं छपते। वह एक बार आते हैं और अपनी छाप छोड़ कर हमेशा हमेशा के लिए चले जाते हैं। इतिहास के पृष्ठों पर वह सदा के लिए अमर हो जाते हैं। अखबारों का काम सामयिक घटनाओं को प्रस्तुत करना, उनकी समीक्षा करना, जनता की दिन-प्रतिदिन की समस्याओं से जूझना, समाज में अव्यवस्थाओं पर चुटकियाँ लेना, कुछ कटाक्ष करना ,.थोड़ी बहुत टीका- टिप्पणियाँ करना, कुछ हँसी मजाक, कुछ व्यंग्य ,कुछ आपबीती और कुछ दुनिया की कहानी ,इन्हीं सबसे अखबार बनता है।
रामपुर (उत्तर प्रदेश)से सर्वप्रथम प्रकाशित हिंदी साप्ताहिक “ज्योति” में इन सब विशेषताओं का अद्भुत सम्मिश्रण था । 26 जून 1952 को ज्योति का पहला अंक प्रकाशित हुआ। पत्र ने कश्मीर समस्या की ओर प्रथम पृष्ठ पर ही पाठकों का ध्यान आकृष्ट किया। संपादकीय सारगर्भित विचारों तथा सधी हुई भाषा शैली से ओतप्रोत था। यह केवल मनोरंजन के लिए निकाला जाने वाला साप्ताहिक नहीं था। इसके मूल में एक स्पष्ट राष्ट्र- रचना का विचार था ।
ज्योति जनसंघ का मुखपत्र था। इसे जनसंघ के युवा और उत्साही कार्यकर्ताओं ने मिलकर शुरू किया था । जनसंघ के ओजस्वी लेखक और विचारक श्री रामरूप गुप्त जो कि बाद में हिंदुस्तान समाचार के माध्यम से पत्रकारिता के शीर्ष पर विराजमान हुए ,”ज्योति “साप्ताहिक के प्रकाशक बने । संपादक के रूप में श्री महेंद्र कुलश्रेष्ठ ने अपनी धारदार लेखनी से पत्र को निसंदेह एक अलग पहचान दिलाई ।
इतिहासकार श्री रमेश कुमार जैन को लिखे गए 20 फरवरी 1987 के पत्र में रामरूप गुप्त जी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार श्री महेंद्र कुलश्रेष्ठ के बाद ज्योति के संपादक श्री रामरूप गुप्त जी बने। उसके बाद श्री बृजराज शरण गुप्त जी ने ज्योति के संपादक का कार्यभार ग्रहण किया। संपादन में सहयोगी के रूप में श्री रामेश्वर शरण सर्राफ तथा श्री महेंद्र प्रसाद गुप्त का भी सहयोग रहा। ज्योति का कार्यकाल मात्र 3 वर्ष रहा। जून 1955 मेंज्योति बंद हो गया।
ज्योति साप्ताहिक हिंदुस्तान प्रेस में छपता था ,जिसके मालिक स्वयं राष्ट्रीय विचारधारा के अग्रणी साधक श्री राम कुमार जी थे। हिंदुस्तान प्रेस रामपुर शहर के हृदय स्थल मेस्टन गंज में ” हनुमान मंदिरवाली गली” के ठीक सामने स्थित था । पत्र से पता चलता है कि 1952 में यह 15 वर्ष पुराना प्रेस हो चुका था।
पत्र में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के रामपुर में नए गंज के मैदान में जनसभा की सूचनाएँ जैसी सामग्री भी पाठकों को दी जाती थीं । (10 जुलाई 1952 अर्थात् वर्ष 1 अंक 3 )
ज्योति का प्रवेशाँक 26 जून 1952, दूसरा अंक 3 जुलाई 1952 तथा तीसरा अंक 10 जुलाई 1952 सभी में प्रमुखता से कश्मीर के प्रश्न को उठाया गया । ज्योति जनसंघ की राष्ट्रीय विचारधारा से प्रेरित रहा था और राजनीति में यह कांग्रेस की रीति- नीतियों का विरोधी था। अखबार में 8 पृष्ठ होते थे।
कुल मिलाकर प्रमुखता से जनसंघ की राष्ट्रवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने में तथा जनसंघ के अभ्युदय की दृष्टि से ज्योति हिन्दी पत्रकारिता में बड़ा कदम रहा।
“ज्योति” के साथ मेरा लगाव कई कारणों से रहा। पहला तो यह कि इसकी स्थापना का श्रेय जिन श्री रामरूप गुप्त जी को जाता है , वह मेरे पिताजी श्री राम प्रकाश सर्राफ के अत्यंत घनिष्ठ मित्र थे । मैं उन्हें ताऊजी कह कर पुकारता था। अतः ज्योति के अंको में प्रकाशक के रूप में उनके नाम को पढ़ना एक प्रकार से उनकी पावन स्मृति को प्रणाम करना है।
सबसे ज्यादा ज्योति के प्रारंभिक अंकों को पढ़ने के पीछे मेरा मुख्य आकर्षण यह रहा कि 10 जुलाई 1952 के अंक में पूज्य पिताजी श्री रामप्रकाश सर्राफ का एक पत्र संपादक के नाम प्रकाशित हुआ है , जिसमे उन्होंने गाँधी पार्क में जनसभा करने पर नगर पालिका द्वारा दस रुपए का टैक्स लगाए जाने का विरोध किया है। संभवत इसका कारण यह रहा होगा कि जनसंघ मध्यम वर्ग के नवयुवकों का राजनीतिक दल था और अब उन्हें लग रहा था कि गाँधी पार्क में सभा करने पर बजट में दस रुपए का खर्च बढ़ जाएगा ,जो उस समय एक बड़ी रकम हुआ करती थी।
संयोगवश 10 जुलाई 1952 के ही अंक में विद्यार्थी परिषद के संयोजक के रूप में डिग्री कॉलेज के विद्यार्थी श्री महेंद्र प्रसाद गुप्त जी का समाचार भी प्रकाशित हुआ है तथा दीनदयाल उपाध्याय जी के द्वारा विद्यार्थी परिषद के उद्घाटन की सूचना भी छपी है । महेंद्र जी मेरे ससुर थे । ज्योति ने हिंदी साप्ताहिक प्रकाशित करने से जो वातावरण तैयार किया ,उससे महेंद्र जी को कुछ वर्षों के बाद हिंदी साप्ताहिक “सहकारी युग ” निकालने की प्रेरणा मिली , जिससे रामपुर और उसके आसपास का ही नहीं बल्कि अखिल भारतीय स्तर पर साहित्यिक परिदृश्य पूरी तरह बदल गया।
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लेखक :रवि प्रकाश पुत्र श्री राम प्रकाश सर्राफ, बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451