* ज्योति जगानी है *
** गीतिका **
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सबके मन में भक्ति भाव की, ज्योति जगानी है।
और निराशा भरी तमस की, धूल हटानी है।
नवरात्रि पर्व की शुभ वेला, मां का ध्यान धरें।
सभी योजनाएं जीवन की, सफल बनानी है।
अखिल विश्व में आज हमारी, है पहचान यही।
ध्वजा सनातन की अति पावन, शुभ फहरानी है।
नगर ग्राम हर घर आंगन में, दीप जले जगमग।
सब भक्तों को चली आ रही, रीत निभानी है।
जीवन दर्शन श्रेष्ठ हमारा, दुनिया ने माना।
इसी भाव को लेकर जग में, साख बढ़ानी है।
क्षमा याचना कर लेंगे हम, बहुत हुई भूलें।
भूले से भी करे न कोई, अब नादानी है।
विश्व चल रहा साथ हमारे, सभी दिशाओं में।
त्याग साधना के पथ बढ़ती, नित्य जवानी है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य