ज्योतिष और ज्योतिषी
ज्योतिष और ज्योतिषी
परिहार (उपाय) ज्योतिष का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। क्योंकि बिना ज्योतिष के उपाय हो सकते हैं लेकिन बिना उपाय के ज्योतिष अधूरा है। ज्योतिष की सार्थकता इसके उपायों से ही है। इसलिए ज्योतिषी के पास उसी जातक को आना चाहिए जो ये मानता है कि भविष्य बदला जा सकता है, क्योंकि ये विद्या उन्हीं पुरुषार्थियों के लिए है जो भाग्य से टक्कर लेना चाहते हैं। ज्योतिष हमें सिखाता है कि भाग्य से टक्कर कब और कैसे लेनी चाहिए। यह दिव्य विज्ञान हमें बताता है कि किस तरह ग्रह-नक्षत्र किसी मानव, समुदाय, राष्ट्र या विश्व को प्रभावित करते हैं।
इसे वेदांग भी कहते हैं, वेदांग छः हैं – शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष। इन अंगों में ज्योतिष को वेदों का नेत्र माना गया है। ज्योतिष हमारे शरीर में नेत्रों के समान महत्त्वपूर्ण है बिना ज्योतिष (प्रकाश) के जीवन अंधकारमय रहता है, व्यक्ति हर काम अंधेरे-जीवन में टटोल-टटोल कर करता है।
कुछ लोगों की धारणा है कि ज्योतिष व्यक्ति को निष्क्रिय या भाग्यवादी बना देता है, ये बिलकुल ग़लत है। जीवन से थके, हारे व निराश व्यक्ति को जीने की नई आशा और ऊर्जा “ज्योतिष“ देता है। जब डॉक्टर किसी मरीज़ को ला-इलाज़ कह कर घर बैठने को कहता है तो ज्योतिषी उस मरीज़ को उठाकर मार्ग दिखाता है। क्योंकि ज्यौतिष और ज्यौतिषी
परिहार (उपाय) ज्योतिष का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। क्योंकि बिना ज्योतिष के उपाय हो सकते हैं लेकिन बिना उपाय के ज्योतिष अधूरा है। ज्योतिष की सार्थकता इसके उपायों से ही है। इसलिए ज्योतिषी के पास उसी जातक को आना चाहिए जो ये मानता है कि भविष्य बदला जा सकता है, क्योंकि ये विद्या उन्हीं पुरुषार्थियों के लिए है जो भाग्य से टक्कर लेना चाहते हैं। ज्योतिष हमें सिखाता है कि भाग्य से टक्कर कब और कैसे लेनी चाहिए। यह दिव्य विज्ञान हमें बताता है कि किस तरह ग्रह-नक्षत्र किसी मानव, समुदाय, राष्ट्र या विश्व को प्रभावित करते हैं।
इसे वेदांग भी कहते हैं, वेदांग छः हैं – शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष। इन अंगों में ज्योतिष को वेदों का नेत्र माना गया है। ज्योतिष हमारे शरीर में नेत्रों के समान महत्त्वपूर्ण है बिना ज्योतिष (प्रकाश) के जीवन अंधकारमय रहता है, व्यक्ति हर काम अंधेरे-जीवन में टटोल-टटोल कर करता है।
कुछ लोगों की धारणा है कि ज्योतिष व्यक्ति को निष्क्रिय या भाग्यवादी बना देता है, ये बिलकुल ग़लत है। जीवन से थके, हारे व निराश व्यक्ति को जीने की नई आशा और ऊर्जा “ज्योतिष“ देता है। जब डॉक्टर किसी मरीज़ को ला-इलाज़ कह कर घर बैठने को कहता है तो ज्योतिषी उस मरीज़ को उठाकर मार्ग दिखाता है। क्योंकि डॉक्टर तो कल का मरता उसे आज ही मार देगा। जीवन के किसी भी क्षेत्र से हारे व्यक्ति के लिए ज्योतिषी के पास इलाज है। यदि वास्तव में कोई रास्ता नहीं तो ज्योतिषी जातक को कम से कम शुभ गोचर (समय अवधि) तक सहन करने के लिए तो कहता ही है अशुभ गोचर (समय अवधि) के लिए परिहार बता कर जातक को क्रियाशील बनाता है!! रास्ता नहीं तो ज्योतिषी जातक को कम से कम शुभ गोचर (समय अवधि) तक सहन करने के लिए तो कहता ही है अशुभ गोचर (समय अवधि) के लिए परिहार बता कर जातक को क्रियाशील बनाता है!!