ज्ञान क्या है
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आयुर्वेद की स्नातकीय शिक्षा के पाठ्यक्रम में एक विषय है – पदार्थ विज्ञान – ये मात्र एक विषय नहीं है – जिस भी मनुष्य ने इस विषय को पूर्ण रूपेण समझ कर आत्म सात कर लिया मानो उसका जीवन सार्थक हुआ ।
इसी संदर्भ में पदार्थ विज्ञान की पुस्तक से एक अंश – इस अंश का आजकल के जीवन में दूरगामी प्रभाव है । मैं समझता हूँ आज नहीं तो कल हर किसी को इसका उपयोग करना पड़ेगा या प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से करता होगा लेकिन महसूस नहीं करता होगा की वो स्वयं कितना वयहारिक है । सच में ।
और वो अंश है – परामर्श लक्षण , हेत्वाभास व व्याप्ति लक्षण ।
ये प्रत्यक्ष लक्षण या प्रमाण क्या है , अक्षम अक्षम प्रति प्रत्यक्षम – अक्ष अर्थात इंद्रिय , प्रति अर्थात सामने व समीप , अर्थात आत्मा , मन , इंद्रियों के साथ विषयों का सन्निकर्ष या संबंध होने पर तदात्म , उस पदार्थ में जो बुद्धि – ज्ञान उत्पन्न होगा वही प्रत्यक्ष होगा प्रमाणित होगा और यही उस के होने का शाश्वत लक्षण होगा ।
ऐसा न्याय दर्शन में उल्लेखित है