ज्ञानवान के दीप्त भाल पर
ज्ञानवान के दीप्त भाल पर
सदा खिली रहती मुस्कान
अन्तस्तल में उदित अरुण का
कभी नहीं होता अवसान
है अनित्य में नित्य समाया,
नहीं भूलता यह एहसास
ज्ञानी सदा वही करता है
जो करने की लेता ठान
_____ महेश चन्द्र त्रिपाठी
ज्ञानवान के दीप्त भाल पर
सदा खिली रहती मुस्कान
अन्तस्तल में उदित अरुण का
कभी नहीं होता अवसान
है अनित्य में नित्य समाया,
नहीं भूलता यह एहसास
ज्ञानी सदा वही करता है
जो करने की लेता ठान
_____ महेश चन्द्र त्रिपाठी