Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2024 · 1 min read

जो हुक्म देता है वो इल्तिजा भी करता है

जो हुक्म देता है वो इल्तिजा भी करता है
ये आसमान कहीं पर झुका भी करता है

तू बेवफ़ा है तो ले इक बुरी ख़बर सुन ले
कि इंतज़ार मेरा दूसरा भी करता है

हसीन लोगों से मिलने पे एतराज़ न कर
ये जुर्म वो है जो शादीशुदा भी करता है

हमेशा ग़ुस्से में नुक़सान ही नहीं होता
कहीं -कहीं ये बहुत फ़ायदा भी करता है

2 Likes · 34 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
!! गुजर जायेंगे दुःख के पल !!
!! गुजर जायेंगे दुःख के पल !!
जगदीश लववंशी
बस चार ही है कंधे
बस चार ही है कंधे
Rituraj shivem verma
इश्क में डूबी हुई इक जवानी चाहिए
इश्क में डूबी हुई इक जवानी चाहिए
सौरभ पाण्डेय
"फंदा"
Dr. Kishan tandon kranti
आक्रोष
आक्रोष
Aman Sinha
हे राम!धरा पर आ जाओ
हे राम!धरा पर आ जाओ
Mukta Rashmi
चिलचिलाती धूप में निकल कर आ गए
चिलचिलाती धूप में निकल कर आ गए
कवि दीपक बवेजा
गीत
गीत
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
I am Yash Mehra
I am Yash Mehra
Yash mehra
जब किसी बज़्म तेरी बात आई ।
जब किसी बज़्म तेरी बात आई ।
Neelam Sharma
-- मुंह पर टीका करना --
-- मुंह पर टीका करना --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
अहाना छंद बुंदेली
अहाना छंद बुंदेली
Subhash Singhai
गुस्सा दिलाकर ,
गुस्सा दिलाकर ,
Umender kumar
2742. *पूर्णिका*
2742. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सुर्ख बिंदी
सुर्ख बिंदी
Awadhesh Singh
गांव अच्छे हैं।
गांव अच्छे हैं।
Amrit Lal
क्या सत्य है ?
क्या सत्य है ?
Buddha Prakash
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
DrLakshman Jha Parimal
शक्ति का पूंजी मनुष्य की मनुष्यता में है।
शक्ति का पूंजी मनुष्य की मनुष्यता में है।
प्रेमदास वसु सुरेखा
माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,
माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
-शुभ स्वास्तिक
-शुभ स्वास्तिक
Seema gupta,Alwar
मेरी तकलीफ़ पे तुझको भी रोना चाहिए।
मेरी तकलीफ़ पे तुझको भी रोना चाहिए।
पूर्वार्थ
#सत्यान्वेषण_समय_की_पुकार
#सत्यान्वेषण_समय_की_पुकार
*प्रणय प्रभात*
कोशिश करना आगे बढ़ना
कोशिश करना आगे बढ़ना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet kumar Shukla
*......कब तक..... **
*......कब तक..... **
Naushaba Suriya
हमारी सम्पूर्ण ज़िंदगी एक संघर्ष होती है, जिसमे क़दम-क़दम पर
हमारी सम्पूर्ण ज़िंदगी एक संघर्ष होती है, जिसमे क़दम-क़दम पर
SPK Sachin Lodhi
चाँद से वार्तालाप
चाँद से वार्तालाप
Dr MusafiR BaithA
*घूम रहे जो रिश्वत लेकर, अपना काम कराने को (हिंदी गजल)*
*घूम रहे जो रिश्वत लेकर, अपना काम कराने को (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
" सब किमे बदलग्या "
Dr Meenu Poonia
Loading...