जो सहज ही ख़ुशी ख़ुशी, खुद का ढोये भार l
जो सहज ही ख़ुशी ख़ुशी, खुद का ढोये भार l
यूँ ही रख रख जिन्दगी, खुशियाँ सहज उभार ll
बार बार लूटा मुझे, शर्मनाक है घात l
वो बार बार है लुटा, सहज शर्म की बात ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न
जो सहज ही ख़ुशी ख़ुशी, खुद का ढोये भार l
यूँ ही रख रख जिन्दगी, खुशियाँ सहज उभार ll
बार बार लूटा मुझे, शर्मनाक है घात l
वो बार बार है लुटा, सहज शर्म की बात ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न