जो भी जिंदा बचेगा वो मर जायेगा
छोड़कर साथ गर हमसफ़र जाएगा।
जो भी जिंदा बचेगा वो मर जाएगा।।
ये जो तन्हा हुईं महफ़िलें शाम की।
दिल में धड़केंगी बस धड़कनें नाम की।
मौत उसके लिए गोद आराम की।
जिंदगी इक नदी विषभरे जाम की।
पार निकलेगा जो डूबकर जाएगा।
जो भी जिंदा रहेगा वो मर जाएगा।।
रात जब याद की रागिनी गाएगी।
चाँद की चाँदनी दिल को झुलसायेगी।
फ़ौज तारों की अंगार बरसाएगी।
हसरतों का चमन ख़ाक कर जाएगी।
ख़ाक मलते हुए दिन गुजर जाएगा।
जो भी जिंदा बचेगा वो मर जाएगा।।
संजय नारायण