Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 May 2024 · 1 min read

जो द्वार का सांझ दिया तुमको,तुम उस द्वार को छोड़

जो द्वार का सांझ दिया तुमको,तुम उस द्वार को छोड़
उस द्वार पर सिंचित रहते हो ,हर वक्त जिस द्वार को तुम लांग कर आए थे।
खुद के द्वार का प्रेम और मोह,कभी उस द्वार संचित और संकलित नही करेगा। खुद के द्वार का मोह छोड़ कर
उस द्वार की बिहारी को खुद से महकना है तो।

जोन लांघ लिया उसके चिंतक रहो बाकी जिस द्वार गए हो उसकी चिंता में मन लगाओ। तभी बनाए रिश्ते और परिवार बने रहेंगे। वरना एक द्वार के मोह ने ना जाने कितने द्वार नाश कर दिए। फिर भी उस द्वार की शरण ले ली

33 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
🔥वक्त🔥
🔥वक्त🔥
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
इतनी ज़ुबाॅ को
इतनी ज़ुबाॅ को
Dr fauzia Naseem shad
जिंदगी को बोझ नहीं मानता
जिंदगी को बोझ नहीं मानता
SATPAL CHAUHAN
वेतन की चाहत लिए एक श्रमिक।
वेतन की चाहत लिए एक श्रमिक।
Rj Anand Prajapati
विवेकवान मशीन
विवेकवान मशीन
Sandeep Pande
प्यार टूटे तो टूटने दो ,बस हौंसला नहीं टूटना चाहिए
प्यार टूटे तो टूटने दो ,बस हौंसला नहीं टूटना चाहिए
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
सत्य खोज लिया है जब
सत्य खोज लिया है जब
Buddha Prakash
राम आए हैं भाई रे
राम आए हैं भाई रे
Harinarayan Tanha
मज़हब नहीं सिखता बैर 🙏
मज़हब नहीं सिखता बैर 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
!! एक चिरईया‌ !!
!! एक चिरईया‌ !!
Chunnu Lal Gupta
नदी जिस में कभी तुमने तुम्हारे हाथ धोएं थे
नदी जिस में कभी तुमने तुम्हारे हाथ धोएं थे
Johnny Ahmed 'क़ैस'
जिंदगी रूठ गयी
जिंदगी रूठ गयी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
किस बात का गुमान है
किस बात का गुमान है
भरत कुमार सोलंकी
■ #गीत :-
■ #गीत :-
*प्रणय प्रभात*
*आओ चुपके से प्रभो, दो ऐसी सौगात (कुंडलिया)*
*आओ चुपके से प्रभो, दो ऐसी सौगात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"आदि नाम"
Dr. Kishan tandon kranti
संवेदना मर रही
संवेदना मर रही
Ritu Asooja
सज़ा-ए-मौत भी यूं मिल जाती है मुझे,
सज़ा-ए-मौत भी यूं मिल जाती है मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आनन ग्रंथ (फेसबुक)
आनन ग्रंथ (फेसबुक)
Indu Singh
कान्हा भजन
कान्हा भजन
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मैं सोचता हूँ कि आखिर कौन हूँ मैं
मैं सोचता हूँ कि आखिर कौन हूँ मैं
VINOD CHAUHAN
इतना क्यों व्यस्त हो तुम
इतना क्यों व्यस्त हो तुम
Shiv kumar Barman
नजरे मिली धड़कता दिल
नजरे मिली धड़कता दिल
Khaimsingh Saini
23/190.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/190.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रिहाई - ग़ज़ल
रिहाई - ग़ज़ल
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
रम्भा की ‘मी टू’
रम्भा की ‘मी टू’
Dr. Pradeep Kumar Sharma
पतंग
पतंग
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
संगीत विहीन
संगीत विहीन
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
*सुकुं का झरना*... ( 19 of 25 )
*सुकुं का झरना*... ( 19 of 25 )
Kshma Urmila
हमेशा भरा रहे खुशियों से मन
हमेशा भरा रहे खुशियों से मन
कवि दीपक बवेजा
Loading...