जो दोगे खून का कतरा
लहु का मांग के कतरा जो सीना तान बैठा था
नही मालूम था सबको जो उसने मान बैठा था।
ये जिद थी जान देकर भी वतन आजाद करना है
तभी तो जान लेने की भी मन मे ठान बैठा था।
वही सुभाष हैं जिसनें दिया “जय हिंद” का नारा
जो दोगे खून का कतरा मिलेगा देश ये प्यारा।
वो जीना भी क्या जीना है जो लड़के जीत ना जाए
ये जंजीरें गुलामी की मिटा दो देश के यारा।
जटाशंकर”जटा”
२३-०१-२०२०