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8 Oct 2024 · 1 min read

*जो जीता वही सिकंदर है*

जो जीता वही सिकंदर है
**********************

जो जीता वही सिकंदर है,
जो हारे वो मस्तकलंदर है।

तमाशा जनता बनती आई,
राजनीति गहरा समंदर है।

दलबदलू कहीं टिकते नही,
जंगल के आवारा बंदर है।

खेल खेलो सदा शिद्द्त से,
कभी बाहर कभी अंदर है।

मनसीरत कर्म से बड़ा नहीं,
दिल्ली से दूर तो जलंधर हैँ।
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

1 Like · 1 Comment · 22 Views
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