जोकर vs कठपुतली
वो कठपुतली थी जोकर की
मैं जोकर था इक सर्कश का
वो दूर हुई तो पता चला
मैं तीर अधूरे तरकश का
क्या दिन थे जब वो राहों में
इंतजार हमारा करती थी
और पास हमें पाकर फिर वो
चुपके चुपके डरती थी
उस डरने में था, प्यार बहुत
और नज़र में था, इज़हार बहुत
काश!खुदा वो दिन लौटा दे
या फिर हमको ये समझा दे
क्या कहना था हमसे उनको,
क्या पैगाम था उनके हर ख़त का
वो दूर हुई तो पता चला
मैं तीर अधूरे तरकश का
…भंडारी लोकेश ✍🏻