जैसे-तैसे
जैसे-तैसे
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इन
रपटीली
और पथरीली
कंटकाकीर्ण राहों में
मैं चल लूँगा
जैसे-तैसे
मेरे कान्हा!
जो हर पल
हर पग साथ मिलेगा
मुझे तुम्हारा…!
लड़ जाऊँगा
हर बाधा से
दो-दो उनसे हाथ करूँगा
आँख मिला कर
देखना कैसे मैं
उनसे बात करूँगा
शर्त यही है
अपने सिर पर रहे सदा
बस हाथ तुम्हारा…!!
हे बंसीधर!
सोच लिया अब
हम-तुम यूँ ही साथ रहेंगे
पथ कैसा भी हो
हम-तुम यूँ ही साथ चलेंगे
अब चिंता क्या
जो होना है हो जाए
मुझे मिला है साथ तुम्हारा
मुझे मिला आशीष तुम्हारा…!!!
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डा० भारती वर्मा बौड़ाई