जैसा जो हैं सोचते
कुंडलिया छंद…
जैसा जो हैं सोचते, करते वैसा काम।
सत्कर्मों से नाम है, बद से है बदनाम।।
बद से है बदनाम, जानते जो सच्चाई।
दुर्गुण रखते दूर, बसाते मन अच्छाई।।
सम्बन्धों का मोल, नहीं करते हैं पैसा।
‘राही’ करते काम, सोचते जो हैं जैसा।। 597
डाॅ. राजेन्द्र सिंह राही