जुदाई की शाम
मैं तुमसे
मिल न पाऊंगा
अब शायद
इस ज़िंदगी में
जाएगी
जवानी मेरी
बला की
एक तिश्नगी में…
सचमुच में
तू है कहीं तो
समझा दे
मुझे, ऐ अल्लाह
इतना दर्द
क्यों मिलता है
किसी को
हाय, आशिकी में…
चिराग़ों ने
फूंक डाली
कुछ ऐसे
मेरी दुनिया
कि जाते हुए
लगता डर
मुझे तो
अब रोशनी में…
जो बात
मैं न कह पाया
जो बात
तुम न सुन पायी
वही बात
ढ़लती जा रही
आजकल
मेरी शायरी में…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
(A Dream of Love)