हैं फुर्सत के पल दो पल, तुझे देखने के लिए,
I dreamt of the night we danced beneath the moon’s tender li
दर्द देकर मौहब्बत में मुस्कुराता है कोई।
तेरी आंखों की बेदर्दी यूं मंजूर नहीं..!
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
*तन - मन मगन मीरा जैसे मै नाचूँ*
राज्य अभिषेक है, मृत्यु भोज
मैं खोया था जिसकी यादों में,
क़िस्मत से जो मिले, वो नियामत है दोस्ती,
अव्यक्त भाव को समझना ही अपनापन है और इस भावों को समझकर भी भु
मुसीबत में घर तुम हो तन्हा, मैं हूँ ना, मैं हूँ ना
चाहे कितने भी मतभेद हो जाए फिर भी साथ बैठकर जो विवाद को समाप
किसी को गुणवान संक्सकर नही चाहिए रिश्ते में अब रिश्ते
जब हक़ीक़त झूठ से टकरा गयी…!
मेरी प्यारी अभिसारी हिंदी......!