जुगनू
जुगनू तो हर वक्त चमकते हैं
रात की तनहाई समझते हैं
छोटे से जीव हैं धरती के
है हिम्मती कभी न थकते हैं।
भटके राही को राह दिखाये
जलकर के पेड़ों के सजाये
छोटे- बड़े से कुछ नहीं होता
निरन्तर काम करना सिखाये।
न सोच जुगनू मैं ही रोशनी देता
चांद भी तो चमक के चांदनी देता
कोई भी समय चक्र से नहीं बचता
सूरज जलके ज़मीं को जिंदगी देता ।
नूरफातिमा खातून” नूरी”