जुआरी
सब कुछ खो गया,
पाने के चक्कर में,
जो पास था,
ध्यान नहीं था उस पर,
रहते रहते निर्भर,
निर्भार न हो सका,
अधूरी ख्वाहिशें,
पूरी करने खातिर,
दर दर भटकते रहा,
पूछे गये सवाल,
हरेक चुप रहा,
मालूम उन्हें भु नहीं,
वे सब व्यापारी,
पैसे कमाना मकसद,
पैसे लेकर,
भविष्य लिखते थे,
बस वही नही थे,
जिसके चक्कर में,
लोग भटकते रहा