Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Dec 2023 · 1 min read

*जी रहें हैँ जिंदगी किस्तों में*

जी रहें हैँ जिंदगी किस्तों में
**********************

जी रहें हैँ जिंदगी किस्तों में,
कुछ नही बचा है रिश्तों में।

भूमि का छाना चप्पा-चप्पा,
ढूंढते हैँ उन को फरिश्तों में।

हैसियत आढे आ जाती है,
प्यार मिलता नहीं मुश्तों में।

जिन पै वारी धन दौलत थी,
जिन्दा हम हालत खस्तों में।

सूनी – सूनी सब की हैँ राहें,
महफ़िल कहाँ है तख्तों में।

चिड़िया गई है दाना चुगने,
घोंसले टूटें-फुटे दरख्तों में।

सुख शांति छीनी मनसीरत,
कुछ नहीं खाली बस्तों में।
*********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

347 Views

You may also like these posts

हाँ ये सच है
हाँ ये सच है
Dr. Man Mohan Krishna
अपने ग़मों को लेकर कहीं और न जाया जाए।
अपने ग़मों को लेकर कहीं और न जाया जाए।
Harminder Kaur
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
डॉ. दीपक बवेजा
दुनिया के चकाचौंध में मत पड़ो
दुनिया के चकाचौंध में मत पड़ो
Ajit Kumar "Karn"
अब वो मुलाकात कहाँ
अब वो मुलाकात कहाँ
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
समरसता की दृष्टि रखिए
समरसता की दृष्टि रखिए
Dinesh Kumar Gangwar
चाहत
चाहत
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
*** आप भी मुस्कुराइए ***
*** आप भी मुस्कुराइए ***
Chunnu Lal Gupta
जब मायके से जाती हैं परदेश बेटियाँ
जब मायके से जाती हैं परदेश बेटियाँ
Dr Archana Gupta
यूं हाथ खाली थे मेरे, शहर में तेरे आते जाते,
यूं हाथ खाली थे मेरे, शहर में तेरे आते जाते,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यौवन
यौवन
Ashwani Kumar Jaiswal
" जीवन "
Dr. Kishan tandon kranti
चौपाई
चौपाई
Sudhir srivastava
विभाजन की विभीषिका
विभाजन की विभीषिका
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ज़िंदा   होना   ही  काफी  नहीं ,
ज़िंदा होना ही काफी नहीं ,
Dr fauzia Naseem shad
सिया मान मेरी बात
सिया मान मेरी बात
Baldev Chauhan
*गम को यूं हलक में  पिया कर*
*गम को यूं हलक में पिया कर*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आस
आस
Shyam Sundar Subramanian
खुद को इतना .. सजाय हुआ है
खुद को इतना .. सजाय हुआ है
Neeraj Mishra " नीर "
खड़कते पात की आवाज़ को झंकार कहती है।
खड़कते पात की आवाज़ को झंकार कहती है।
*प्रणय*
3139.*पूर्णिका*
3139.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लक्ष्मी-पूजन का अर्थ है- विकारों से मुक्ति
लक्ष्मी-पूजन का अर्थ है- विकारों से मुक्ति
कवि रमेशराज
- होली के रंग अपनो के रंग -
- होली के रंग अपनो के रंग -
bharat gehlot
*चंद्रमा की कला*
*चंद्रमा की कला*
ABHA PANDEY
*समान नागरिक संहिता गीत*
*समान नागरिक संहिता गीत*
Ravi Prakash
मेरी सबसे ज्यादा जरूरी चीज
मेरी सबसे ज्यादा जरूरी चीज
पूर्वार्थ
तेरे दिल की हर बात जुबां से सुनाता में रहा ।
तेरे दिल की हर बात जुबां से सुनाता में रहा ।
Phool gufran
शुभांगी छंद
शुभांगी छंद
Rambali Mishra
श्रद्धावान बनें हम लेकिन, रहें अंधश्रद्धा से दूर।
श्रद्धावान बनें हम लेकिन, रहें अंधश्रद्धा से दूर।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
समाज मे अविवाहित स्त्रियों को शिक्षा की आवश्यकता है ना कि उप
समाज मे अविवाहित स्त्रियों को शिक्षा की आवश्यकता है ना कि उप
शेखर सिंह
Loading...