जीवित रहे समाज
वहाँ सफल होती नही, पूजा और नमाज!
जहाँ बिना सदभाव के,जीवित रहे समाज!
ढोंग और पाखण्ड का ,करिए प्रथम इलाज !
लाजिम है कहना तभी, जीवित रहे समाज !!
भारी पड़ते हैं सदा,… ढेरों रस्म रिवाज !
उन्हें हटाए बिन कहाँ,जीवित रहे समाज !!
कुदरत की गिरती रहे, अगर निरन्तर गाज !
बोलें किस मुहं से कहो,जीवित रहे समाज !!
रमेश शर्मा