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3 Dec 2017 · 1 min read

जीवित रहे समाज

वहाँ सफल होती नही, पूजा और नमाज!
जहाँ बिना सदभाव के,जीवित रहे समाज!

ढोंग और पाखण्ड का ,करिए प्रथम इलाज !
लाजिम है कहना तभी, जीवित रहे समाज !!

भारी पड़ते हैं सदा,… ढेरों रस्म रिवाज !
उन्हें हटाए बिन कहाँ,जीवित रहे समाज !!

कुदरत की गिरती रहे, अगर निरन्तर गाज !
बोलें किस मुहं से कहो,जीवित रहे समाज !!
रमेश शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 209 Views
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