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11 Jan 2021 · 3 min read

जीवा

कितनी खूबसूरत तस्वीरें बनाती थी वो।पलक झपकना ही भूल जाते थे लोग शायद वो नही जानती थी कि एक जादू सा है उसकी उंगलियों में । जो ब्रश पकड़ने के बाद कैनवास पर जादू बिखेरती थी ऐसी पेंटिंग्स की देखने वाला खुद को ही भूल जाये। जी हां मैं बात कर रही हुँ जीवा की जिसको सरस्वती का वरदान था या यूं कह लो कि कोई वशी करन था या कुछ ऐसा जिसको देखते ही सामने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता था खो से जाता था उसकी पेंटिंग्स में।
चलिए जीवा के बारे में बताते है आपको को है वो कहाँ से आई है क्या करती है। जीवा जो अपने नाम के अनुसार ही एक जिंदादिल मस्तमौला रहने वाली लड़की पर किस्मत की धनी जिसको भरा पूरा परिवार मिला है प्यार करने वाले माता पिता ,एक बड़ा भाई नंदन और चाचा मोहन, चाची चन्दा और एक छोटा सा भाई मोहित जिसको वो लड्डू बोलती थी क्योंकि वो गोलमोल लगता था और लड्डू जिसको बहुत पसंद थे।जीवा उम्र में बड़ी नही थी पर समझ उसमें कूट कूट के भरी थी माँ बाप की लाडली भाई की जान थी जीवा का सब कुछ अच्छा था बस एक ही कमी थी उसमें कि उसको भूलने की बीमारी थी कोई भी बात होती थी वो थोड़े टाइम बाद भूल जाती थी इसीलिए उसको कोई भी अकेला नही छोड़ता था पर इस कमी की पूर्ति भगवान ने उसके हाथों में पेंटिंग का जादू दे के पूरा कर दी थी पर ये कोई नही जानता था कि भगवान जी ने उसकी किस्मत में क्या लिखा है।
जीवा की इस बीमारी के कारण उसके पापा ने उसको कॉलेज नही भेजा कभी कभी तो वो उनको भी नही पहचान पाती थी इसीलिए वो डरते थे कि कहीं कोई उसका गलत फायदा न उठा ले। जीवा के पढने का सपना सपना बन के ही रह गया ।
आज जीवा का जन्मदिन था आज वो अपने पापा से कुछ गिफ्ट मांगना चाहती थी और वो ये भी जानती थीं कि वो मन नही करेंगे पर जीवा को डर था कि वो जो मांगने जा रही है वो मिलेगा या नही …क्योंकि उसके पापा उसकी जिंदगी से खिलवाड़ नही कर सकते थे ये तोहफा दे कर उसे।
शाम हुई जिस पल का जीवा को इंतज़ार था वो आ गया घर पर पार्टी रखी गयी थी जिसमे बहुत ज्यादा लोग नही थे बस खास खास लोग ही थे । धीमा धीमा संगीत महफ़िल को खास बना रहा था जीव को अपनी खास दोस्त सुशी का इंतज़ार था जो नही तक नही आई थी।
उसका इंतजार करते करते उसे गुस्सा आ रहा था क्योंकि वो कभी भी लेट नही होती थी अचानक से उसे वापस अटैक आया वो भूल गयी कि वो कहाँ पर है और क्या कर रही है तभी उसकी दोस्त सुशी आ गईं और बोली”
ए जीवा क्या कर रही है यहां सब तेरा इंतज़ार कर रहे है ना अंदर केक काटने के लिए। ओर सॉरी मैं लेट हो गयी तेरे लिए गिफ्ट लेने के चक्कर में।जीवा को समझ नही आ रहा था कि वो क्या कह रही है तभी जीवा का भाई मौलिक आया और बोला ”
ओ सुशी ,जीवा को ले के अन्दर आ, न पापा बुला रहे है पर जीवा तो सोच रही थी कि अंदर कौन है और उसको क्यों बुला रहा है तभी मौलिक यानी लड्डू बोला,” अरे,मेरी लाडली बहना, आज तेरा जन्मदिन है और पापा बुला रहे है वो उसका हाथ पकड़ के अंदर ले गया , एकाएक सबको देख कर जीवा को याद आ गया कि आज उसका जन्मदिन है।

आइये अब आपको जीवा के past me le chlti हु कि कैसे जीवा इस बीमारी का शिकार हुई जिस कारण जीवा की याददाश्त पर असर हुआ जिस कारण उसका सब कुछ छूट गया । I mean school, bahr jana etc.

एल ज़िंदादिल मस्त खुश मिज़ाज़ चुलबुली लड़की जीवा जिसका आज result आना था दसवीं का, जिसको ले कर वो बहुत excited थी क्योंकि उसे उम्मीद थी या यूं कह लीजिए उसे यकीन था कि वो स्टेट लेवल पर टॉप करेगी। result आने में थोड़ा टाइम बाकी था वो बहुत ज्यादा ही बेकरार हो रही थी उसकी बेसब्री देख के उसके छोटे भाई रोनक ने कहा “अरे दी , थोड़ा सब्र करो ,क्या इधर उधर हो रही हो, तुम्हे देख कर मुझे चक्कर आने लगे है,

बाकी अगले भाग में……

Language: Hindi
634 Views
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