“जीवन”
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शून्य से शुरू
जीवन काल चक्र
शून्य से खत्म
कर्म से निज
पुरुषार्थ हेतु सा
जनमा जीव
मध्य सिमटा
जीवन्त आत्मा वश
भ्रमित जीव
मै और मैं के
झंझावत मे फसा
उलझा रहा
-अर्चना शुक्ला”अभिधा”
शून्य से शुरू
जीवन काल चक्र
शून्य से खत्म
कर्म से निज
पुरुषार्थ हेतु सा
जनमा जीव
मध्य सिमटा
जीवन्त आत्मा वश
भ्रमित जीव
मै और मैं के
झंझावत मे फसा
उलझा रहा
-अर्चना शुक्ला”अभिधा”