जीवन
जैसा जब जीवन मिला,रँगी उसी के रंग।
समझ समय की चाल को,चली उसी के संग।
चली उसी के संग,मार कर अपनी इच्छा।
घर के सारे काम,हमे लगता है अच्छा।
रहा कला से प्रेम,जिंदगी भी कुछ वैसा।
घर से समय निकाल,काव्य रचती मन जैसा ।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
जैसा जब जीवन मिला,रँगी उसी के रंग।
समझ समय की चाल को,चली उसी के संग।
चली उसी के संग,मार कर अपनी इच्छा।
घर के सारे काम,हमे लगता है अच्छा।
रहा कला से प्रेम,जिंदगी भी कुछ वैसा।
घर से समय निकाल,काव्य रचती मन जैसा ।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली