जीवन
जीवन
यह जीवन जब मुस्कान भरे,समझो बसन्त तब आया है।
मन में खुशियाँ जब छा जाएं,समझो सावन अब आया है।
जब दिल में प्रेम गुबार उठे,समझो रिमझिम रिमझिम होगा।
जब तन आह्लादित हो जी भर ,समझो जल बह मधुरिम होगा।
जब मन में अति उत्साह दिखे,समझो प्रियतम का आवन है।
दिल में धड़कन जब बढ़ जाए,समझो मौसम सद्भावन है।
तन के रग रग में हो उमंग,समझो प्रिय मीत मिलन होगा।
जब पोर पोर से रस टपके,समझो स्नेह लुभावन होगा।
जब एक दिखे बस एक वही,समझो प्रेमिल से मिलना है।।
जब राह लगे मधु मादक सी,समझो आजीवन चलना है।
जब दृश्य मनोहर निर्मल हो,समझो सारा जग जीत लिया।
जब भाव समन्दर गहराया,समझो लहरों से प्रीत किया।
जब कुंठाओं की राख दिखे,समझो गंगा का दर्शन है।
समता की ममता प्रिया लगे,समझो ईश्वर का स्पर्शन है।
जब स्नेहिल पर्यावरण लगे,समझो प्रेमामृत वर्षा है।
जब मन का कोना हर्षित हो,समझो शुभप्रद उत्कर्षा है।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।