जीवन हो गए
गीत
तेरे अधरों पर जब, मैंने वंदन लिखा
प्यार के वही पल तो, जीवन हो गए
संग संग हम चले
साज सरगम सजे
आया इक पपिहा
और प्यास बन गए
तेरे पलकों पर जब, मैंने दर्पण लिखा
प्यार के वही पल तो जीवन हो गए।।
कँपकपी सी देह पर
अभिलाषा लिखी
मेघ बनकर जो बरसी
जिज्ञासा दिखी
तेरी अलकों पर जब, मैंने दुल्हन लिखा
प्यार के वही पल तो, जीवन हो गए।।
धारणा थी जो मन में
वो श्यामा हुई
आँगन की यह हुलसी
वो तुलसी हुई
तेरी नजरों से जब, मैंने अर्पण लिखा
प्यार के वही पल तो, जीवन हो गए।।
सूर्यकांत