Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Nov 2019 · 1 min read

जीवन संवार डाला मेरा

मुश्किल जो थी राहें उसे आसां मुकाम कर
खुशियां जमाने भर की उसने मेरे नाम कर
वीरान से जीवन में वो बहार ले आई
जीवन संवार डाला मेरा हाथ थाम कर

वो प्रेम का ले आई एहसास जीने में
उसने बढा़या मेरा विश्वास जीने में
बस प्यार है खुशियां हैं हर घड़ी हर पल
गमों का कोई भी न है आभास जीने में

मिठास भरी सुबह व रंगीन शाम कर
जीवन संवार डाला मेरा हाथ थाम कर

उससे पहले खुशियों की ये लाली नहीं थी
प्रेमपुष्प से भरी ये डाली नहीं थी
था भले बहुत कुछ पर कुछ कसर भी था
इतना सुख इतनी खुशहाली नहीं थी

वो आई है खुशियों का वृहत् आयाम कर
जीवन संवार डाला मेरा हाथ थाम कर
जीवन संवार डाला मेरा हाथ थाम कर

विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 2 Comments · 457 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Loading...