जीवन संघर्ष
जला आँच संघर्ष जो ,हुई कनक सी देह ।
भस्म हुए हैं दाह सब ,बरसे ईश्वर मेह ।।
माज रहा संघर्ष नित ,आलोड़ित है श्वास ।
शुध्द किया उर छाँछ मन ,रही बढ़ाती प्यास ।।
गान किया संघर्ष ने ,बजा हृदय का तंत ।
मगन हुई अंतर् सदा ,पढ़ा द्वंद्व ने मंत्र ।।
बना समय है गुरु सदा ,पढ़ा दिए सब पाठ ।
पास किए संघर्ष ने ,बढ़ा दिए हैं ठाठ ।।
घिरा रहा मन द्वंद्व में ,लगा रहा था दौड़ ।
उपादान साहस बना ,किया संघर्षों गौड़ ।।
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’शोहरत
स्वरचित सृजन
वाराणसी
4/1/2022