जीवन यात्रा ध्येय लक्ष्य पड़ाव
“जीवन यात्रा – ध्येय, लक्ष्य, पड़ाव”
दिशाहीन होने से, भला है दृष्टिहीन होना
मतिभ्रष्ट होने से, भला है बुद्धिहीन होना
यदि संशय हो तो, क्षणभर विश्राम कर लें
पथभ्रष्ट होने से, भला है, प्रगतिहीन होना
जीवन के मार्ग में, पड़ावों का भी महत्व रहे
लक्ष्य हो सम्मुख, ध्येय का भी, अस्तित्व रहे
परिणामों से अधिक, प्रयत्नों का घनत्व रहे
स्वार्थ से सर्वार्थ सिद्धि दर्शाता व्यक्तित्व रहे
सुख शांति का संबंध है वैचारिक समृद्धि से
जैसे आवश्यकता का रहा है आविष्कारों से
जीवन व्यवहार में, लाभहानि से, ऊपर उठकर
वर्तन को समृद्ध करना है, मूल्यों से, विचारों से
भावनाऐं, माना मानवीय प्रकृति की एक अनमोल देन हैं
उनमें नाटकीयता केवल नाट्य मंच पर ही उचित होती है
इतिहास है साक्षी जब कभी स्वार्थवश हुआ इनका प्रयोग
ये, परस्पर मानवीय सम्बन्धों में, अन्याय के बीज बोती है
जब कभी आवेश की, आंधियां सी चलती सुनाई दें
जब कभी भावनाओं के ज्वार में कुछ ना दिखाई दे
तब तब, केवल, कुछ ही क्षणों के लिए अपने नयन मूंद लेना पथिक
ताकि अंतर्मन के धवल प्रकाश में तुम्हें, जीवन पथ, प्रखर दिखाई दे
~ नितिन जोधपुरी “छीण”