जीवन में मन , वाणी और कर्म से एकनिष्ठ होकर जो साधना में निरं
जीवन में मन , वाणी और कर्म से एकनिष्ठ होकर जो साधना में निरंतर लगे रहते है उनका अंतकरण स्वयं दीप्त उठता हैं । आपके अन्दर ही प्रकाश हैं ।
जीवन में मन , वाणी और कर्म से एकनिष्ठ होकर जो साधना में निरंतर लगे रहते है उनका अंतकरण स्वयं दीप्त उठता हैं । आपके अन्दर ही प्रकाश हैं ।