Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
Neeraj Agarwal
34 Followers
Follow
Report this post
20 Feb 2024 · 1 min read
जीवन में प्राकृतिक ही जिंदगी हैं।
जीवन में प्राकृतिक ही जिंदगी हैं।
सच तो यही हैं।
Tag:
Quote Writer
Like
Share
147 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
You may also like these posts
जब तक हम जीवित रहते हैं तो हम सबसे डरते हैं
Sonam Puneet Dubey
*मैंने देखा है * ( 18 of 25 )
Kshma Urmila
प्रकृति और मानव
Kumud Srivastava
*आज का संदेश*
*प्रणय*
ഋതുമതി
Heera S
अपनी निगाह सौंप दे कुछ देर के लिए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मैं भारत का जन गण
Kaushal Kishor Bhatt
*माँ सरस्वती (चौपाई)*
Rituraj shivem verma
आकलन
Mahender Singh
" बहार का मौसम"
Dr. Kishan tandon kranti
"आओ हम सब मिल कर गाएँ भारत माँ के गान"
Lohit Tamta
औरत.....
sushil sarna
* हासिल होती जीत *
surenderpal vaidya
*माँ सरस्वती सत्यधाम हैं*
Rambali Mishra
सास बहू
Arvina
कितना दूर जाना होता है पिता से पिता जैसा होने के लिए...
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
हिंदी साहित्य की नई : सजल
Sushila joshi
काव्य में अलौकिकत्व
कवि रमेशराज
*आदर्श युवा की पहचान*
Dushyant Kumar
गज़ल
करन ''केसरा''
मैं अपने आप को समझा न पाया
Manoj Mahato
जैसे आँखों को
Shweta Soni
उसके कहने पे दावा लिया करता था
Keshav kishor Kumar
परेड में पीछे मुड़ बोलते ही,
नेताम आर सी
तेरे संग बिताया हर मौसम याद है मुझे
Amulyaa Ratan
कोई काम हो तो बताना,पर जरूरत पर बहाना
पूर्वार्थ
मुक्तक
Yogmaya Sharma
चोखा आप बघार
RAMESH SHARMA
राख देख शमशान में, मनवा करे सवाल।
गुमनाम 'बाबा'
3433⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
Loading...