जीवन बीत रहा
“गीत”
जीवन बीत रहा
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कष्ट यही है जीवन में
यह पल,
पल- पल में
बीत रहा है
डर है बस
इस बात का
मन को
प्रेम का सोता रीत रहा है
न खोने का गम है बाकी
न पाने की खुशी बची है
न सुर न संगीत बचा है
और न कोई गीत रहा है
अपने हुए आज बेगाने
बात बात में देते ताने
चुपके से सब दूर हो गए
पास न कोई मीत रहा है
कष्ट यही है जीवन में
यह पल,
पल- पल में
बीत रहा है
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डॉ. रीतेश कुमार खरे “सत्य”