जीवन पल पल बीत रहा
मेरे जीवन का बहता गम जीवन पल पल बीत रहा ।
बहते कभी थे सुख के झरने मधुर याद संगीत रहा।
कानो में कुछ आकर कहती प्यार की बाते हमसे करती ।
देख सनम को खुशिया नैना नित ही नया अठखेल थी करती।
बाँह पकड़ कर मेरा वह प्यार हमे थी करती ।
मेरी ही यादो में वो हरपल खोई खोई थी रहती ।
नित रूप के यौवन में उसके हमको सुख मिलता था।
उसकी जुल्फों की छाया में प्रेम का सुख पा जाता था।
प्रेम पुजारी बनकर मैं उसके प्रेम का रस पी लेता था ।
अपनी प्राण पियारी से कुछ प्रेम की बाते कर लेता था ।
कालचक्र वो चलता गया पीछे न मुड़कर मैंने देखा।
जीवन सफर दूर निकल गए भाग्य की रेखा कभी नही देखा।
जीवन की पल पल धारा में कल आने वाला ख्वाब था देखा।
कुछ परिचत आकारो में जीवन के स्वप्न को देखा।
कितना मधुर था प्रेम का बन्धन जीवन को उसमे बांध लिया।
प्रेम के बन्धन में बध कर जीवन संगिनि बना लिया।
रिस्तो के पंख लगाकर हम कल्पना के आसमां में उड़े।
दो अनजान दिलो में प्रेम के जीवन के रिश्ते जुड़े।
दिल की गहराइयो में जाकर हमने सच्चा प्यार किये।
भूल गये हम सारी दुनिया इक दूजे को प्यार किये।
सुन्दर प्रेम छवि को दिल में एक- दूजे को बसा लिया।
प्रेम पथिक बन जीवन में हम उसका हर श्रृंगार किया ।
चलता गया जीवन के राहो में सोचा कभी ना जुदाई होगा।
हम दो प्रेम युगल जोड़ी को यह दुःख सहना होगा।
जीवन पर किया भरोसा मौत ने हमको छलता गया ।
प्रेम के राह में चलते गये समय ने हमको ठगता गया।
मिटा दिया प्रेम छवि को काल के गर्भ में जाकर गिरा।
बांधे थे जो प्रेम के बन्धन टूट अन्धेरो में जाकर गिरा।
मधुर मिलन का जो देखा सपना टूट कर बिखर गये।
सुन्दर मुखड़े पर जो चुनरी थी बनकर कफ़न जल गये।
एक स्वेत का बादल जीवन में दुःख के जल बरसा गया ।
प्राणों का स्पन्दन छूट गया प्यार से दिल मेरा अब टूट गया ।
इन दूर भटकते जीवन को मौत की राह मैं देख रहा।
कब होगा मरकर उससे मिलन वो समय राह मैं देख रहा ।
ऊपर वाला दया करो अब तो मिला दे मेरे प्यारी प्रिया से।
हमको दे दे मौत अभी जाकर मिलु वहां अपनी प्रिया से।