जीवन तो चलता रहता है
अविरल गति से चलता जीवन,
कब रुकता बीच थपेड़ों से।
चलना ही सदा जीवन है,
फिर क्या डरना अंधेरों से।
बाधाएं उलझन तो आएंगी,
ये तो जीवन की परीक्षा है।
हर इंसा इससे गुजरता है,
जीवन तो चलता रहता है।
सब जीव परिश्रम करते हैं,
श्रम जीवन का आधार सदा।
उन्नति अवनति के सोपानों पर,
हम गिरते और संभलते है।
कड़वे मीठे अनुभव से तो,
हर राही रोज गुजरता है।
कभी पाकर कभी खोकर,
ये जीवन चलता रहता है।
नही वक्त अनुरूप है रहता,
व्यर्थ है अभिमान को ढोना।
हर दिन यहां समय बदलता है,
जीवन तो चलता रहता है।
स्वरचित एवं मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश