Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2023 · 1 min read

” जीवन चक्र”

जिन्दगी……………………….एक पहेली है!
ये कल भी अकेलीथी, आज भी अकेली है

यूँ तो सफर मे मिलें हम सफर अनेक,
पर व्यस्तता के चक्रव्यूह मे खो गये प्रत्येक

सीमित साधनो का था वह ,बाल्यकाल,
आज भी लगता है वह, सबसे स्वर्णिम काल,

मां का था आँचल, और पिता का दुलार
उससे सुखद कोई नही है! उपहार

जाने कहां खो गई अब वह यौवन की सखियां
वह मस्ती, अठखेलियाँ और ढेरों बतियाँ

फिर जीवन में वो दायित्वो के भंवर का आना
कभी लहरो का ऊपर और फिर नीचे को जाना

वक़्त के वेग में फिर वो ,उम्र का ढलता जाना
अब तो जीना है,अपने लिए भी इस बात का समझ में आना

तो मत समझो जीवन के इस पड़ाव को अन्त की छाया
ये तो बस जीवन की दूसरी पारी का प्रारभं है आया

तो जी लो यारो इसमे जी भरकर यूँ ही
क्योंकि अब ही तो स्वयं के लिए जीने का वक्त है पाया

डॉ. कामिनी खुराना (एम.एस., ऑब्स एंड गायनी)

268 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Kamini Khurana
View all
You may also like:
तमन्ना उसे प्यार से जीत लाना।
तमन्ना उसे प्यार से जीत लाना।
सत्य कुमार प्रेमी
झकझोरती दरिंदगी
झकझोरती दरिंदगी
Dr. Harvinder Singh Bakshi
देह माटी की 'नीलम' श्वासें सभी उधार हैं।
देह माटी की 'नीलम' श्वासें सभी उधार हैं।
Neelam Sharma
ग़ज़ल (ज़िंदगी)
ग़ज़ल (ज़िंदगी)
डॉक्टर रागिनी
.............सही .......
.............सही .......
Naushaba Suriya
"सरहदों से परे"
Dr. Kishan tandon kranti
गांधीजी का भारत
गांधीजी का भारत
विजय कुमार अग्रवाल
विनाश नहीं करती जिन्दगी की सकारात्मकता
विनाश नहीं करती जिन्दगी की सकारात्मकता
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
ओसमणी साहू 'ओश'
*माला फूलों की मधुर, फूलों का श्रंगार (कुंडलिया)*
*माला फूलों की मधुर, फूलों का श्रंगार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*** कभी-कभी.....!!! ***
*** कभी-कभी.....!!! ***
VEDANTA PATEL
17)”माँ”
17)”माँ”
Sapna Arora
ये दिल तेरी चाहतों से भर गया है,
ये दिल तेरी चाहतों से भर गया है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ढोंगी देता ज्ञान का,
ढोंगी देता ज्ञान का,
sushil sarna
किससे माफी माँगू, किसको माँफ़  करु।
किससे माफी माँगू, किसको माँफ़ करु।
Ashwini sharma
होती नहीं अराधना, सोए सोए यार।
होती नहीं अराधना, सोए सोए यार।
Manoj Mahato
Being committed is a choice, it is not merely out of feeling
Being committed is a choice, it is not merely out of feeling
पूर्वार्थ
कुछ किताबें और
कुछ किताबें और
Shweta Soni
आखिर क्या कमी है मुझमें......??
आखिर क्या कमी है मुझमें......??
Keshav kishor Kumar
"वेश्या का धर्म"
Ekta chitrangini
आमदनी ₹27 और खर्चा ₹ 29
आमदनी ₹27 और खर्चा ₹ 29
कार्तिक नितिन शर्मा
शक
शक
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
With every step, you learn, you soar,
With every step, you learn, you soar,
Sakshi Singh
कौन कहता है कि
कौन कहता है कि "घुटनों में अक़्ल नहीं होती।"
*प्रणय*
मां तेरे आंचल से बढ़कर कोई मुझे न दांव रहता है।
मां तेरे आंचल से बढ़कर कोई मुझे न दांव रहता है।
Rj Anand Prajapati
सुरभित - मुखरित पर्यावरण
सुरभित - मुखरित पर्यावरण
संजय कुमार संजू
आसमाँ पर तारे लीप रहा है वो,
आसमाँ पर तारे लीप रहा है वो,
अर्चना मुकेश मेहता
होली के मजे अब कुछ खास नही
होली के मजे अब कुछ खास नही
Rituraj shivem verma
दीदार
दीदार
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
हाथ की लकीरों में फ़क़ीरी लिखी है वो कहते थे हमें
हाथ की लकीरों में फ़क़ीरी लिखी है वो कहते थे हमें
VINOD CHAUHAN
Loading...